दिल के घर में
मैं तो
अपने दिल के घर में
रहती हूं
दिल के घर में
विचरती हूं
दिल के घर की
चारदीवारी के भीतर
बंद हूं
मुझे कोई क्या
कैद करेगा
इन ईंट पत्थर के
घर दीवारों में
मैं तो एक
हवा का दरिया हूं
जमीन पे बहती नहीं
सबके सिर के ऊपर से
उनके दिलों को
छूती हुई
बेबाकी
मदमस्त
छल्लेदार लहराती चाल से
होकर
गुजरती हूं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001