दिल के ख़्यालात
दिल के ख़यालात ना मिले?
तो फिर क्या हिज़्र सी ख्वाब सजे?
खुशियाँ ही तो वजूद ए ज़िंदगी,
एक दूजे को धूप फिर कहीं छाँव मिले.
©शायर-किशन कारीगर
दिल के ख़यालात ना मिले?
तो फिर क्या हिज़्र सी ख्वाब सजे?
खुशियाँ ही तो वजूद ए ज़िंदगी,
एक दूजे को धूप फिर कहीं छाँव मिले.
©शायर-किशन कारीगर