दिल की मंजिल..
दिल का सुकुं तलास करूं कैंसे
दिल की मंजिल को में पांऊ कैंसे!!
मंजिल पाने के तो लोग रास्ते निकाला करते हैं
दिल की मंजिल पाने का रास्ता निकालूं कैंसे!!
घर को तो लोग सजा लिया करते हैं
पर दिल मूरत को में सजांऊ कैंसे!!
यों तो दरिया को भी बधांन से रोक देते हैं हम
पर आसुंओ के दरिया का में बांध बनाऊ कैंसे!!
यों तो मंजिलों को भी लोग बदल लेते हैं
पर दिल की मंजिल को में बदलूं कैंसे !!
ऐ खुदा उसके दिये जख्म को कभी न भरना
गर हो दवा तो ये खुदा उसे लगांऊ कैंसे!!
क्या कहूँ बूझ पाता नहीं में
दूरी है बड़ी बता पाट पांऊ कैंसे
रंजीत घोसी ₹