दिल की बात
दिल की बात कह दूं तो नाराज ना होना,
मैं ही तेरा आशिक हूँ सच्चा ये समझ लेना ।।
हर वक्त साथ रहता हूँ तुम्हारे जैसे परछाई रहती है,
मेरी नजरें तड़फती हैं जबतक तुम्हें ना देख लेती है ।।
जीवन आधा अधूरा लगता है मुझको अब बिन तेरे,
जहाँ भी जाता हूँ सब सूना-सूना लगता है बिन तेरे ।।
सावन की बरसात भी तिजाब जैसी मुझको लगती है,
तेरी याद में घुलता हूँ जैसे मिट्टी बारिश में घुलती है ।।
हर जगह हर चेहरा अजनबी हो गया है मुझसे,
मेरा आईना भी अब अजनबी हो गया है मुझसे ।।
नजरों के सामने तेरा ही चेहरा हर वक्त दिखता है,
नाम तेरा लेता हूँ तभी मेरा दिल सीने में धड़कता है ।।
ये मोहब्बत है या कोई रोग लगा है मुझे दिल का,
यकीन है मुझको तुम ही दवा हो मेरी इस मुश्किल का ।।
prAstya….(प्रशांत सोलंकी)