– दिल की बाते शायद में मेरे दिल में रख पाऊ –
– दिल की बाते शायद में मेरे दिल में रख पाऊ –
दिल की बाते शायद में मेरे दिल में रख पाऊ,
हाल मेरा जो हुआ है इश्क में वो सबको कैसे बताऊ,
इश्क था मुझे अपनो से अपने परिवार ,अपने कुटुम्ब से,
नही कभी कोई प्रेमिका, प्रेयसी से,
दिल में दी चोट अपनो ने उसको मे कैसे भुलाऊ,
दिया मुझे जो दर्द वो कैसे बया कर पाऊ,
सोचा हरवक्त, हरदम अपने कुल ,कुटुम्ब परिवार का भला,
ईश्वर से करी बस यही एक अरदास,
सदा ही रखना मेरे कुल परिवार ,कुटुम्ब की तुम लाज,
ईश्वर ने दिया मुझे जन्म साहित्य सृजन के लिए खास,
में अब अपना शेष जीवन अर्पित कर दू साहित्य यज्ञ में आज,
दिल की बाते शायद में दिल में ही रख पाऊ,
दिल की बात में कलम व स्याही के माध्यम से कागज पर गढ़ पाऊ,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान संपर्क -7742016184