दिल की बातें खुदा ही जाने ..
दिल की कुछ बातें दिल में ही रह जाती है ,
कश्मकश की वजह से जुबान तक नहीं आती है,
उनको कौन समझे खुदा ! तेरे सिवा ,
इस संगदिल जमाने से क्या उम्मीद की जा सकती है?
दिल की कुछ बातें दिल में ही रह जाती है ,
कश्मकश की वजह से जुबान तक नहीं आती है,
उनको कौन समझे खुदा ! तेरे सिवा ,
इस संगदिल जमाने से क्या उम्मीद की जा सकती है?