दिल की प्यारी
सांवली सुरत है तेरी,
नटखट सी शरीर तेरी।
चेहरे की चमक ये तेरी,
लगती है दिल की प्यारी।।
शांत स्वभाव है तेरी,
मधुरम वाणी है तेरी।
कोमल सी बदन ये तेरी,
लगती है दिल की प्यारी।।
कदमों की चाल तेरी,
जुल्फों की बाल तेरी।
ऐसी है मुस्कान ये तेरी,
लगती है दिल की प्यारी।।
जो तुम्हें देखता वह देखता ही रह जाता,
बार-बार देखने की ईच्छा जाहिर करता।
कैसी है? आकर्षण ये तेरी,
लगती है दिल की प्यारी।।
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कवि : जय लगन कुमार हैप्पी
बेतिया, बिहार।