दिल की पोखर में
दिल की पोखर में यह
क्या ठहर गया है
एक नाले के रुके
गंदे कीचड़ के पानी सा
रास्ता भटक कर
कोई मुसाफिर यहां रुके तो
वह आसमान में
चमकता
रात्रि का चांद होना
चाहिए
जिन्दगी काली स्याह
रातों में भी
महकते फूलों का
गुलिस्तां होनी चाहिए
कांटों के जंगल का
शामियाना नहीं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001