Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Feb 2017 · 1 min read

दिल की पतंग को

??????
सभी दोस्तों को मकरसक्रांती की हार्दिक शुभकामनाएँ
??????
दिल की पतंग को,
रिश्तों की डोर में बाँध लो…
चाहत की उड़ान को,
हृदय का वृहत आकाश दो…
रिश्तों की डोर को,
मुलाकात की चरखी पे लपेट लो..
बातों की नरमी में,
गुड़ की मिठास दो…
मन की अहम को,
दिल से निकाल फेक दो…
खुली हुई बाहों से
अपनेपन का एहसास दो…
जो भी दूर हो,
उन सब को आवाज दो..
हर मकरसक्रांती पर
अपनों का साथ हो…
रिश्तों में मिठास,
अपनेपन की बात हो….
???? —लक्ष्मी सिंह ?☺

Language: Hindi
423 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
I know that you are tired of being in this phase of life.I k
I know that you are tired of being in this phase of life.I k
पूर्वार्थ
10) पूछा फूल से..
10) पूछा फूल से..
पूनम झा 'प्रथमा'
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
....नया मोड़
....नया मोड़
Naushaba Suriya
तिरंगा
तिरंगा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
संघर्ष से‌ लड़ती
संघर्ष से‌ लड़ती
Arti Bhadauria
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
नेता हुए श्रीराम
नेता हुए श्रीराम
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मसल कर कली को
मसल कर कली को
Pratibha Pandey
दिल
दिल
Dr Archana Gupta
कर्णधार
कर्णधार
Shyam Sundar Subramanian
कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं,
कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं,
Vishal babu (vishu)
न जाने कहा‌ँ दोस्तों की महफीले‌ं खो गई ।
न जाने कहा‌ँ दोस्तों की महफीले‌ं खो गई ।
Yogendra Chaturwedi
तुम्हारे आगे, गुलाब कम है
तुम्हारे आगे, गुलाब कम है
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
💐प्रेम कौतुक-155💐
💐प्रेम कौतुक-155💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*गाता है शरद वाली पूनम की रात नभ (घनाक्षरी: सिंह विलोकित छंद
*गाता है शरद वाली पूनम की रात नभ (घनाक्षरी: सिंह विलोकित छंद
Ravi Prakash
"कुछ खास हुआ"
Lohit Tamta
हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई
हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई
गुप्तरत्न
" मंजिल का पता ना दो "
Aarti sirsat
नमस्ते! रीति भारत की,
नमस्ते! रीति भारत की,
Neelam Sharma
2796. *पूर्णिका*
2796. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बुढ़ापे में अभी भी मजे लेता हूं (हास्य व्यंग)
बुढ़ापे में अभी भी मजे लेता हूं (हास्य व्यंग)
Ram Krishan Rastogi
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेरा हर राज़ खोल सकता है
मेरा हर राज़ खोल सकता है
Shweta Soni
सुख के क्षणों में हम दिल खोलकर हँस लेते हैं, लोगों से जी भरक
सुख के क्षणों में हम दिल खोलकर हँस लेते हैं, लोगों से जी भरक
ruby kumari
आ गए हम तो बिना बुलाये तुम्हारे घर
आ गए हम तो बिना बुलाये तुम्हारे घर
gurudeenverma198
एक समय के बाद
एक समय के बाद
हिमांशु Kulshrestha
Experience Life
Experience Life
Saransh Singh 'Priyam'
"कदर"
Dr. Kishan tandon kranti
जीवित रहने से भी बड़ा कार्य है मरने के बाद भी अपने कर्मो से
जीवित रहने से भी बड़ा कार्य है मरने के बाद भी अपने कर्मो से
Rj Anand Prajapati
Loading...