दिल की धड़कन भी
दिल की धड़कन भी ,नाम तुम्हारा लेती है।
सांसों की तस्बीह में ,नाम तेरा रट लेती है।
दिल के मस्अले ,ये दिल ही जानता है
रहे सजदे में और ,खुदा तुम्हे मानता है।
क्या-क्या बयां करूं ,दिल की नादानियां
बावला होकर इश्क में करें शैतानियां।
जिंदगी में इस दिल ने दिये हैं वो अजाब
धड़कनें बढ़ने लगे ,जब हों वो बेनकाब।
कौन समझ पाया है,दिल की मक्कारियां।
कब कहां किसका हो जाये,करें अदाकारियां
सुरिंदर कौर