दिल की तमन्ना
मेरे दिल की सब तमन्ना,
दिल की दिल में रह गई ।
एक नदी आंखों से निकली,
और यही कहीं पर बह गई ।।
क्या गिला और किससे करें,
सब के सब तो अपने थे ।
जो टूट के चकनाचूर हुए,
वो अल्हड़ से कुछ सपने थे ।।
फिर मिले तुम एक बार मुझे,
फिर से अब हसरत जाग उठी ।
दर्द सितम मेरे हिस्से में आया,
चलो तुमको मगर बहार मिली ।।
खुश रहना तुम सदा देखो,
ये शहर छोड़ हम जाते हैं ।
दिल की सारी हसरत को,
अब अश्कों में बहाते हैं ।।