दिल की गिरहें खोल दो
जर्रा-जर्रा बोल उठें हैं दिल की गिरहें खोल दो
कब तक जीओगे यू घुट-घुट के
बदुरूस्ती-ए-होशो-हवास में रहना सिख लों।।
नीतू साह
जर्रा-जर्रा=कण-कण
बदुरुस्ती-ए-होशो-हवास=विवेक के साथ
जर्रा-जर्रा बोल उठें हैं दिल की गिरहें खोल दो
कब तक जीओगे यू घुट-घुट के
बदुरूस्ती-ए-होशो-हवास में रहना सिख लों।।
नीतू साह
जर्रा-जर्रा=कण-कण
बदुरुस्ती-ए-होशो-हवास=विवेक के साथ