दिल की किताब
ख्वाबों में आने की कह रात भर उन्होंने सोने ना दिया,
जागती आंखों से ख्वाब भी हमें ……..देखने ना दिया।
पढ़ना चाहते थे दिल की किताब.. ….. ख्वाबों में उनकी,
आंखें बंद रख जागने की कह एक लम्हा भी सोने ना दिया ।
नहीं जानती ख्वाबों में जगा मुझसे क्या कहना चाहते हैं,
शरमाती नज़र को नजरंदाज कर पलकों को झपकने ना दिया।
रुह में मेरी मूरत सजा कर रखना न भूलना तुम मुझे,
ख्वाबों में बसा बस उनका नाम पर लबों पर आने ना दिया।
दिल धड़कता है सांसें मन्द मन्द पड़ जाती है उन्हें देखकर,
दिल के मंदिर में विराजमान हो धड़कनों को बढ़ने ना दिया
न आए कभी ख्वाबों में वो हमारे सिमट गया प्यार मेरा,
ख्वाब में आऊंगा कह मेरे मुझे रातों में चैन से सोने ना दिया।।
डॉ राजमती पोखरना सुराना भीलवाडा राजस्थान