दिल की आवाज
****दिल की आवाज ****
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दिल से आई है आवाज,
बज रहा है प्यारा सा साज।
कोशिश कर ली बार हजार,
नहीं बनता है प्रेम का काज।
हो रहा है प्यार का एहसास,
मुझे आती है बताने में लाज।
आजकल रहता हूँ खामोश,
कहीं खुल न जाए छुपे राज।
जिंदगी है गमों से भरी पड़ी,
शायद यही होगा सिर ताज।
हिय में छायी हुई है उदासी,
आपे से बाहर हैं नखरे नाज।
मनसीरत पूरी हो गर मुराद,
नहीं चाहिए कोई भी दाज।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)