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10 Dec 2017 · 1 min read

दिल की आरजू

एक आरजू है दिल की,
सारे जहाँ में छा जाऊँ!
एक आरजू है दिल की,
सबको अपना बना जाऊँ!
एक आरजू है दिल की,
इंसानियत को संग ले चल पाऊँ!
जाऊँ कहीं भी,
इंसानियत ही सबको सिखलाऊँ!

टूटे अंतिम डोरी,
जब साँसों की मेरे,
तो मैं शहीद,
इंसानियत का सिपाही कहलाऊँ।

-✍️अटल©

Language: Hindi
413 Views
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