दिल कि ख्वाहिश
जब चलती गगन में तेज पवन
तो मन में उठा एक प्रश्न
कि मैं भी उड़ जाऊं बनके बिहग
या खिल जाऊं बनके कमल
पर जब देखा आसमान का कद
तो हौसला न रह सका बुलंद
पर चाह लगी छूना है अम्बर ।
देखो तो है कितने चमकते सितारे
पर खुद को जलाकर रौशनी देता सूरज
✍️रश्मि गुप्ता@ ray’s Gupta