दिल का दीवाना दिलबर आ गया
दिल का दीवाना दिलबर आ गया
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गिनते गिनते दिन वो आ ही गया
बेहतरीन लम्हा जिंदगी आ गया
वो जो देखा ख्वाब, साकार हुआ
स्वप्न नभ से जमीन पर आ गया
चाहा बेइंतहा जिस शख्स क़ो था
हमसफर बन जिन्दगी में आ गया
हताश था मैं जिस तलाश के लिए
आखिरकार वो ठिकाना आ गया
नयन तरसते थे , खुशी के लिए
वो खुशियों भरा जमाना आ गया
कदम जिंदगी के थे बहकने लगे
ठहराव जिन्दगी में अब आ गया
सुखविंद्र जिसकी इन्तजार में था
दिल का दीवाना दिलबर आ गया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)