*दिल का कद्रदान*
देखता रहता हूं मैं चेहरा तेरा रात दिन
अब तेरे दिल में उतरने की इजाज़त चाहिए
बहुत देख ली है ये दुनिया इन आंखों से
अब तेरी आंखों से देखने की इजाज़त चाहिए
होगा जब साथ तेरा तो कुछ नहीं चाहिए मुझे
बस तेरे साथ ये सफ़र तय करने की मोहलत चाहिए
सुना है बहुत दयालु है वो तेरी फ़रियाद ज़रूर सुनेगा
ये अर्ज़ मेरी उस तक पहुंचाने के लिए तेरी आवाज़ चाहिए
है कशिश क्या तुममें मैं जानता नहीं हूं
आ गया हूं सामने तेरे अब मुझे पलकों में तेरी छुपाना चाहिए
था मुझे बरसों से इंतज़ार जिस पल का
अब तुम्हें अपनी बाहों में मुझको समेटना चाहिए
हो रहा जो ख़ुशबू का अहसास तेरी
दो पल नहीं, मुझे वो ताउम्र चाहिए
फ़ुरसत से कभी बैठों न सामने मेरे
इस ज़िंदगी में मुझे अब सुकून चाहिए
जाती है जो राह तेरी आंखों से तेरे दिल में
बाक़ी कुछ नहीं मुझे वो राह चाहिए
तुम्हें तो बसा लिया है पहले ही दिल में मैंने
अब मेरे दिल की चाबी खो जानी चाहिए
देख लो न तुम भी आंखों में मेरी
तुम्हें भी मेरे प्यार पर एतबार हो जाना चाहिए
होंगे कद्रदान लाखों तेरे रूप के लेकिन
अब तुम्हें दिल के कद्रदान को पहचान लेना चाहिए।