दिल कहे….
एक मैंने है कविता रची,
उससे सूरत मिले आपकी।
०००
पास में जो नहीं आप,तो-
गंध कविता में ली भाव की।
०००
जानता आपको मैं न,पर-
चाह दिल में मुलाक़ात की।
०००
तन्हा जीवन है अब तक मेरा,
है ज़रूरत बहुत साथ की।
०००
दिल कहे आयेगी कल ‘सरस’,
संगिनी तेरे अहसास की।
*सतीश तिवारी ‘सरस’,नरसिंहपुर (म.प्र.)