दिल कहे, ‘आना-जाना’ चाहिए, रोज़ रोज़, ‘नया बहाना’ चाहिए।
#सफ़रनामा
दिल कहे, ‘आना-जाना’ चाहिए,
रोज़ रोज़, ‘नया बहाना’ चाहिए।
दीदार को, उस रेशमी मुखड़े का
अचूक, ‘नज़र-ऐ-निशाना’ चाहिए।
एक से बचे दूजे गस खाके गिरें,
नज़र भी हमें ‘क़ातिलाना’ चाहिए।
असर ज़माने का मेरी मोहब्बत पे
ईश्क़-ऐ-अदब ‘वहशीयाना’ चाहिए।
दिल कहे, ‘आना-जाना’ चाहिए,
रोज़ रोज़, ‘नया बहाना’ चाहिए।
Basant_Malekar