दिल्लगी
यूँ तो हर साँस तेरी
यादगार होती है।
हर घड़ी जुबां पे तेरी
बात यार होती है।
ये महज एक ख़्वाब है
सच है या शराब कोई
अब तो दिल्लगी ऐसी
बार बार होती है।
संजय नारायण
यूँ तो हर साँस तेरी
यादगार होती है।
हर घड़ी जुबां पे तेरी
बात यार होती है।
ये महज एक ख़्वाब है
सच है या शराब कोई
अब तो दिल्लगी ऐसी
बार बार होती है।
संजय नारायण