दिलनू …
दिलीप-
एक है आरजू एक है रूह
पास है तेरे मेरा दिलनू
भंडारी-
दिल दियां गल्लां किसे में दसनु
पास नही मेरे तेरा दिलनु
दिलीप-
जिसकी रग विच बसदी ए तेरी खुशबू
मेरा नही हो सकता वो मेरा दिलनु
भंडारी-
तेरे दिल विच बसदा ए तेरा दिलनु
फिर कैसे कैंदा तू बेवफ़ा दिलनु
दिलीप-
नजरां मिलैयां उत्ते मैंनूँ यूं ठगनू
तक़दीयाँ तेरीयाँ गल्ला मेरा दिलनु
भंडारी-
हर खत विच तेरा ज़िकर ही लिखनु
किसी और का क्यूँ ‘ तेरा दिलनु ‘
दिलीप-
बिछुड़न इस कदरां चाहिंदा ना मिलनु
वो थी ही कब बलिए
‘ ‘ मेरा दिलनु ‘ ‘