दिलनशीं आसमॉं
दिलनशीं इस आसमाँ की बात कर!
चाँद, तारों, कहकशाँ की बात कर!!
मशवरा तुझको दिया किसने भला!
आतिशी दौरे-जहाँ की बात कर!!
तीरगी ग़र पल रही दिल में तेरे!
रोशनी हो बस वहाँ की बात कर!!
मज़हबी रंजिश तू रखना छोड़ दे!
मुल्क ये तेरा यहाँ की बात कर!!
पल जुदाई में ख़ुदा की जो कटे!
सब्र की उस इन्तहाँ की बात कर!!
बात करनी है तुझे मुझसे अगर!
शायराना दास्ताँ की बात कर!!
फूल जिसमें हों मुसाफ़िर प्यार के!
उस चमन में मत खिजाँ की बात कर!!
धर्मेंद्र अरोड़ा “मुसाफ़िर”
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