Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Nov 2017 · 1 min read

दिलदार

दिल में अब ज़ोर कुछ ना था
ये जो घर किसी और का था

हमने तो अब सिर्फ चाहा उसे
ये जो हमसफ़र किसी और का था

मुकद्दर में ना था वो चारागर मेरा
वो जो दिलदार किसी और का था

दिलो तब्बसुर में बसाया था हमने जिसे
वो तलबगार अब किसी और का था

खाखगर को जो दिल की बाते बताई
वो जालिम बेवफ़ा किसी और का था

ख्वाबो ख्यालो में कल जो मेरे आया था
महसर में अब खड़ा वो किसी और का था

थोड़ी सी रानाई आये दिल में भी मेरे
‘आकिब’इस दुनिया में वो किसी और का था

®आकिब जावेद

504 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Akib Javed
View all
You may also like:
लोग कह रहे हैं राजनीति का चरित्र बिगड़ गया है…
लोग कह रहे हैं राजनीति का चरित्र बिगड़ गया है…
Anand Kumar
मैं और मेरी फितरत
मैं और मेरी फितरत
लक्ष्मी सिंह
कभी हमको भी याद कर लिया करो
कभी हमको भी याद कर लिया करो
gurudeenverma198
भविष्य के सपने (लघुकथा)
भविष्य के सपने (लघुकथा)
Indu Singh
मुद्रा नियमित शिक्षण
मुद्रा नियमित शिक्षण
AJAY AMITABH SUMAN
सृजन
सृजन
Rekha Drolia
था जब सच्चा मीडिया,
था जब सच्चा मीडिया,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
नज़र मिला के क्या नजरें झुका लिया तूने।
नज़र मिला के क्या नजरें झुका लिया तूने।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
*चिकने-चुपड़े लिए मुखौटे, छल करने को आते हैं (हिंदी गजल)*
*चिकने-चुपड़े लिए मुखौटे, छल करने को आते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
"दुर्भाग्य"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रकृति
प्रकृति
Monika Verma
जिंदगी एक सफर सुहाना है
जिंदगी एक सफर सुहाना है
Suryakant Dwivedi
■ तंत्र का षड्यंत्र : भय फैलाना और लाभ उठाना।
■ तंत्र का षड्यंत्र : भय फैलाना और लाभ उठाना।
*प्रणय प्रभात*
संवेदनायें
संवेदनायें
Dr.Pratibha Prakash
2724.*पूर्णिका*
2724.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*मैंने देखा है * ( 18 of 25 )
*मैंने देखा है * ( 18 of 25 )
Kshma Urmila
" तेरा एहसान "
Dr Meenu Poonia
🌸 सभ्य समाज🌸
🌸 सभ्य समाज🌸
पूर्वार्थ
जीवनामृत
जीवनामृत
Shyam Sundar Subramanian
Ajj purani sadak se mulakat hui,
Ajj purani sadak se mulakat hui,
Sakshi Tripathi
उम्र अपना
उम्र अपना
Dr fauzia Naseem shad
शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
खुद से ज्यादा अहमियत
खुद से ज्यादा अहमियत
Dr Manju Saini
अपने ही  में उलझती जा रही हूँ,
अपने ही में उलझती जा रही हूँ,
Davina Amar Thakral
हैं जो कुछ स्मृतियां वो आपके दिल संग का
हैं जो कुछ स्मृतियां वो आपके दिल संग का
दीपक झा रुद्रा
थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
शेखर सिंह
मैं तो महज इत्तिफ़ाक़ हूँ
मैं तो महज इत्तिफ़ाक़ हूँ
VINOD CHAUHAN
“गणतंत्र दिवस”
“गणतंत्र दिवस”
पंकज कुमार कर्ण
गंणतंत्रदिवस
गंणतंत्रदिवस
Bodhisatva kastooriya
योग का एक विधान
योग का एक विधान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Loading...