दिया बन कर ।
मैं दिया बन कर सौ साल जला हूं।पर! रोशनी की परिभाषा से अनभिज्ञ चला हूं। फिर बुझ कर निरन्तर जला हूं।।पर तेरे लिए नहीं अंधेरे को मिटाने के लिए जला हूं।।
मैं दिया बन कर सौ साल जला हूं।पर! रोशनी की परिभाषा से अनभिज्ञ चला हूं। फिर बुझ कर निरन्तर जला हूं।।पर तेरे लिए नहीं अंधेरे को मिटाने के लिए जला हूं।।