दिया पिटारा खोल
धमकाया मैने बहुत, लिया खूब पुचकार!
मुआ पिटारा याद का,खुल जाता हर बार!!
मेरी सारी भ्रांतियां …..हुई वहीं पर गोल !
दिया पिटारा ज्ञान का, दादी ने ज्यों खोल !!
उमडा मुझ पर अत्यधिक,दादी का जब प्यार!
आने मेरी जेब मे,…..आजाते खुद चार!!
रमेश शर्मा