दिया धर जाता है।
कि सकी चाहत पर जयोति किरण से .खाली पन भर जाता है।कौन हमारे आँगन मे ।चुपचाप दिया धर जाता है।संकेत किसी का न मिला .छाया भी नहीं दिखाई दी।अब तलक किसी के आने की आहट भी न सुनाई दी।कब कैसे दाखिल हुआ और कब चुपके से धर जाता है।किसके दिल मैं अपने पन का वह फूल खिला।पता नहीं किसने यह अनुराग किया।वह तय है.वह देवता नहीं।.कुछ देर अँधेरे मैं डूबी दुनिया रोशन कर जाता है।कौन हमारे घर आँगन मे दिया धर जाता है।।