“दिमाग”से बनाये हुए “रिश्ते” बाजार तक चलते है! “दिमाग”से बनाये हुए “रिश्ते” बाजार तक चलते है! और “दिल” से बनाये “रिश्ते” आखरी सांस तक बसते है.!