*****दिन वो बचपन के*****
दिन वो बचपन के बड़े याद आये,
जिंदगी के वो पन्ने आज मन छाये।
कितने सरल सरस निश्चल थे वो दिन,
काश! दिन वो आज कोई मोड़ के लाये।
मिट्टी की सोंधी,सहज सुलभ खुशबू ,
आज फिर मुझे अपने पास बुलाये।
धूल सने वो मृदुल निज हाथ मेरे ,
काश!आज मेरे मन को फिर भाये।
नानी कि वह परियों की कहानियां ,
आज फिर मुझे वो सब कौन सुनाये।
बचपन की वो चपल भागदौड़,
काश!आज कौई फिर लौटा जाये।
घर के आंगन का वो शोर-शराबा,
निज कोई आज फिर डांटने आये।
रूठकर वो रातों को भूखे सो जाना,
काश!कोई आज गोद मे भूख मिटाये।