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21 May 2023 · 1 min read

दिन भी बहके से हुए रातें आवारा हो गईं।

मुक्तक

दिन भी बहके से हुए रातें आवारा हो गईं।
राह तकती आंखें थक कर बेनज़ारा हो गईं।
आपके आने अब उम्मीद बस कहने को है,
वो हसीं रातें मिलन की ब‌स सहारा हो गईं।

……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी

Language: Hindi
228 Views
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