दिन प्यारा सा…
दिन की भरी धूल
प्यार से
अपने हाथों से
फेंकने लगे फूल
गुलमोहर बनी शाम
चमेली सा दिन
मन उड़ता
जल पक्षी सा
नदियों के सुंदर
घाटों पर
मन की बांसुरी
अधरों को छूने लगी…
पोर पोर में
पीड़ा सी होने लगी
पेड़ों से लिया
झूमना नृत्य करना
ताड़ के पेड़
लंबे पक्षी से
सीधे खड़े होने लगे …
मौन साधे
पूजा की तैयारी में
सपने सलौने ’अंजुम’
दिवा स्वप्न में बनने लगे
नाम: मनमोहन लाल गुप्ता
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