दिन तो खैर निकल ही जाते है, बस एक रात है जो कटती नहीं
दिन तो खैर निकल ही जाते है, बस एक रात है जो कटती नहीं
चाहे जितना ही व्यस्त हो जाएँ, बस उनकी याद है जो मिटती नहीं
आदत से ज्यादा ज़रूरत बन गये है वोह हमारे जीवन की
हो भी जाए हम खुद से जुदा पर, वोह हमसाये की आस हे मेरी,
जो कभी मेरे जीवन से हटती नहीं
तन्हाँ रहना ज़रूरी हो गया अब उनके जाने के बाद
झगमगाती भीड़ में अकेला खो गया उनके जाने के बाद
अब नहीं जचता मुझे खिली हुई धुप सा जीवन
दिकुप्रेम एहसासों की छाँव में सो गया उनके जाने के बाद
जो कभी उछला करते थे दिल के अरमान उन्हें देखने के लिए
आज उनके आने का इंतज़ार करते हुए मेरी आखें थकती नहीं
हो भी जाए हम खुद से जुदा पर, वोह हमसाये की आस हे मेरी,
जो कभी मेरे जीवन से हटती नहीं