दिन कैसा भी हो
दिन कैसा भी हो
हर रोज शाम होई जाती है
रात कैसी भी हो
हर रोज सुबह होई जाती है
समस्या कुछ भी हो
एक से ज्यादा हो
तो उलछन होई जाती है
कितना भी समझाओ खुद को
के गलतियाँ होई जाती है
हम मुस्कराते है हर पल हर दम
पर कभी-कभी आँखे नम होई जाती है
उलझने कैसी भी हो
मन साफ हो ,हर चीज साफ होई जाती है
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Swami ganganiya