दिनकर
#दिनकरक कविता,जेना अग्निक ज्वाला,
शब्दमे ओज, हर पाँति मे छै तेजस्वीता।
वीर रसक अद्भुत सृजन,
भारत मायके गर्वित वंदन।
स्वतंत्रताक संघर्षमे उत्सव जखन,
शब्दमे बसल देशभक्तिक गहिर नशा।
रश्मीरथी’मे देखल गेल,।
कर्णक पीड़ा, ओकर जीवंतता.
संघर्ष अधिकारक,किछ आओर कहानिया
‘उर्वशी’ प्रेमक अद्भुत चित्रण।
जीनगि हरदिन रंगक संगम,
हर कविता अद्वितीय स्वाद
ओह जेना दिनकरक शब्दमे,
महादेवक जीनगी के जटा *
** मैथिलीक ओहि पुत्र के नमन,
जे शब्द स राष्ट्र के सम्मान केलथि
दिनकरक ज्वाला कहियो मंद नहि,
हिनकर कविता सदिखन प्रेरित करैत ।
—–श्रीहर्ष—-#