“” *दिनकर* “‘
“” दिनकर “‘
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(1) दिनकर
चला बरसाए
प्रचण्ड तपिश अग्नि
हवा जलाएं
देह….
(2) भास्कर
हो आरुढ़
सप्त अश्वों पर
चला दौड़े
ठहरें …..
(3) रवि
रश्मियाँ सहस्त्र
सतत बहती अज़स्त्र
दिव्य मंत्र
गुनगुनाएं…..
(4) सूर्य
अवि हमारा
करे जगत प्रकाशित
यथा पिण्डे
ब्रह्माण्ड…..
(5) आफ़ताब
रचाए ख़्वाब
खोलें मन किताब
पढ़ें नित्य
जानें……
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सुनीलानंद
शनिवार,
25 मई, 2024
जयपुर,
राजस्थान |