दिखा प्रतिबिम्ब दर्पण में…..
एक मुक्तक:
_________________________________________
बह्र: बहर-ए–हज़ज मुसम्मन सालिम
रुक्न: मफाईलुन मफाईलुन मफाईलुन मफाईलुन
हिन्दी नाम: ‘विधाता’ या ‘शुद्धगा’ छंद आधरित मुक्तक
गण विन्यास: यमातागा यमातागा यमातागा यमातागा
_________________________________________
दिखा प्रतिबिम्ब दर्पण में सहज यह भाव आया है.
तुम्हारा साथ ऐ साथी हमारे मन को भाया है.
समर्पित भावना हो यदि शिकायत ही कहाँ होगी,
न हो अब दिल्लगी दिल से जहाँ सब कुछ लुटाया है..
_________________________________________
रचनाकार: इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’