दिखा दो
गीतिका
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अभी तुम जरा पास आ कर दिखा दो।
बहुत दूरियां हैं मिटा कर दिखा दो।
कभी ना कभी तो सफलता मिलेगी।
सभी दांव अब आज़मा कर दिखा दो।
बहुत खूबसूरत झुकी हैं निगाहें।
जरा अब उठाकर मिला कर दिखा दो।
निकट बैठकर भी रहे दूर क्यों तुम।
दिलों में मुहब्बत जगा कर दिखा दो।
खिले फूल को देखना चाहते सब।
अधर मौन क्यों मुस्कुरा कर दिखा दो।
भला तो नहीं है सताना किसी को।
ठिकाना सही अब बता कर दिखा दो।
घटाएं घिरी सावनी खूब नभ पर।
घनी जुल्फ अपनी उड़ा कर दिखा दो।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १३/०६/२०२४