दिखावा करती दुनिया।
बड़ी बिडंमना है साहब … सच से क्यों मुँह मोड़ते हैं लोग यहाँ ? मुझे कोई संकोच नहीं कि मैं उत्तराखंडी हूँ पहाड़ी हूँ और सीधा-साधा साधारण इंसान भी , कल ही मैं बस में कहीं जा रहा था मेरे आगे वाली सीट पर एक अधेड़ उम्र की कोई महिला अपने 10-12 साल के बच्चे के साथ बैठी थी , बस वाला भी लोकल ही लग रहा था उसने बस में सिस्टम पर गढ़वाली गाने लगाये थे ! बस में आधे से ज्यादा लोग पहाड़ी ही बैठे थे . एक आधा गाना समाप्त होते ही.. सामने बैठी औरत बोली अरे भैय्या ये क्या गाने लगा रखे हैं आपने ? मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा ठीक से कोई हिंदी-विन्दी गाने लगाओ ज़रा, जैसे ही उस महिला ने ऐसा कहा मैं एकाएक उन्हें गौर से देखने लगा .. क्योंकि महिला ने जो भी कुछ कहा था उससे साबित होता है कि वो पक्का कोई पहाड़ी औरत है और ये मैं इसलिये कह रहा हूँ क्योंकि जैसा कि आप सभी जानते हैं हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा ज़रूर है और बहुत संख्या में लोग हिंदी ही बोलते भी हैं मगर .. कहीं न कहीं हर इक इंसान की हिंदी में भी अलग-अलग समस्वरण (ट्यूनिंग) ज़रूर आती है .. जैसे अगर कोई पंजाबी शख्स हिंदी बोलता है तो उसमे पंजाबी भाषा की ट्यूनिंग आती है ठीक उसी तरह यहाँ भी ऐसा ही कुछ था फ़िर क्या था जैसे ही महिला ने ऐसा कहा बस में बैठे कुछ लोग हँसने लगे ..हँसने वाली बात तो थी ही क्योंकि वो महिला पहाड़ी होने के बावजूद ऐसा कह रही है कि मुझे पहाड़ी गाने समझ नही आ रहे है फ़िर मैंने सोचा .. आखिर कहाँ जायेंगे ऐसे लोग? और किसे दिखाएंगे भला ये झूठा दिखावा ? यही हाल अपने भारत का भी हो गया है कुछ बुद्धिजीवी हिंदी को तुच्छ समझते हैं और अंग्रेजी को ज्यादा तवज्जो देते हैं जबकि ऐसा नही होना चाहिए .. हर भाषा का सम्मान करना जरुरी है आप इंग्लिश बोलो फ्रेंच बोलो या फिर कुछ और मगर .. अपनी मात्र भाषा को कभी अनदेखा नहीं करना चाहिए ये और न ही उसको हीन भावना से देखना चाहिए … आजकल प्राइवेट स्कूलों का हाल बहुत ही बुरा हो गया है … वहाँ अगर किसी ने एक लफ्ज़ भी हिंदी में बोल दिया तो .. उसकी धज़्ज़िया उड़ाई जाती है उसको गँवार समझा जाता है .. कई बार तो आर्थिक दंड भी उस पे लगाया जाता है जो कि निंदनीय है ! .. हमें सोचना होगा .. आज हिंदी विश्व स्तरीय भाषाओं में तीसरे पायदान पर है .. हमें गर्व होना चाहिए कि हमें भी ऐसे देश में पैदा होने का अवसर मिला जहाँ इतनी भाषाएँ इतनी बोलियाँ बोली जाती है .. कहने का तात्पर्य यही है .. आप आसमां को छू लो मगर याद रहे .. आधार सदैव ज़मीं ही रहेगा !
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बृजपाल सिंह रावत
देहरादून, उत्तराखंड