दिखावटी मदद
***** दिखावटी मदद *****
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दौर फोटो खिचाने का चलने लगा है।
बाढ़ग्रस्त बिहार अब जलने लगा है।
राजनीतिक आखाड़ा पहले ही था यह-
मैदान ए ओलंपिक अब बनने लगा है।
हाल जो हुआ आज सोचा नहीं था।
जला – जल है फिर भी उबलने लगा है।
जिसे देखें रोटी वो सेकता है अपनी-
देखकर मौका अपनी मचलने लगा है।
उसकी है लाठी औ भैंस भी उसकी-
हरियाली देख यह फिसलने लगा है।
सभी सर डुबोने निकले हैं घी में-
लगता हैं घी अब पिघलने लगा है।
दौर चल पड़ा है मैं पहले मैं का-
दिखावटी मदद अब निकलने लगा है।।
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✍✍पं.संजीव शुक्ल “सचिन”