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18 May 2024 · 1 min read

दिखाने लगे

गीतिका
~~
स्वप्न नेता नये अब दिखाने लगे।
आज फिर वोटरों को लुभाने लगे।

जेल में बंद थे लूट आरोप में।
स्वच्छ खुद को बहुत अब बताने लगे।

कह रहे थे खुली जिन्दगी देख लो।
बात दिल की मगर क्यों छुपाने लगे।

साथ सबके नहीं चल सके आज तक।
दूरियां ही हमेशा बढ़ाने लगे।

देश का नाम लेते रहे हर जगह।
नफरतों की फसल क्यों उगाने लगे।

वायदे जो किए याद बिल्कुल नहीं।
मन कुटिलता भरा मुस्कुराने लगे।

स्वार्थ दलदल में आकंठ डूबे हुए।
फंसकर अब सभी जेल जाने लगे।
~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १८/०५/२०२४

1 Like · 1 Comment · 89 Views
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