*दिखते पत्थरबाज (कुंडलिया)*
दिखते पत्थरबाज (कुंडलिया)
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मुखड़े पर कपड़ा ढके ,दिखते पत्थरबाज
यह भारत के शत्रु हैं ,देश-विरुद्ध समाज
देश-विरुद्ध समाज ,अराजकता फैलाते
ले मिट्टी का तेल ,आग हर जगह लगाते
कहते रवि कविराय,पले किस के टुकड़े पर
सोचो यह हैं कौन ,ढके कपड़ा मुखड़े पर
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451