दिए की रोशनी
दिए की रोशनी
हे प्रभु तूने जो दी है इस दिए को रोशनी
अब इस नन्हें से दिए में प्राण यूँ ही भरते रहना ।
इस दिए की रोशनी में कुछ प्रकाशित तो हुआ है
किन्तु अब भी शेष जो उन अंधेरों को भी ढहना।
हृदय का हर एक कोना दीप्त इस दिए से करके
दूर जब कर दूँ कलुष सब आ प्रभु हृदय में रहना।
जब हृदय में आ बसोगे दीपावली हो जाएगी
प्राणों में इन ॐ सा संवाद बनके झरते रहना ।