दिंडी छन्द
दिंडी छन्द सममात्रिक छन्द 19 मात्रएं
9,10 की यति अंत 22
प्रेम से वाणी, सभी कहो भैया।
नित्य कर पूजा, पार लगे नैया।
श्रेष्ठ कर्मों से, सदा पुण्य पाते।
आज हैं करते, सभी व्यर्थ बाते।
अदम्य
दिंडी छन्द सममात्रिक छन्द 19 मात्रएं
9,10 की यति अंत 22
3 2 4, 2 4 4
दूर ही उसने, क्यों डाला डेरा।
शांत घर सूना, है आँगन मेरा।
याद जब उसकी, है मुझको आती।
अश्रु से आंखे, भर मेरी जाती।
अदम्य