दिंडी छन्द
दिंडी छन्द सममात्रिक छन्द 19 मात्रएं
9,10 की यति अंत 22
दीजिये समग्र, शुद्ध भाव मैया।
कीजिये समृद्ध, छन्द काव्य मैया।
नित्य लिखता मैं, रहूँ छन्द प्यारा।
भाव भरकर जो, लगे बंध न्यारा।
विश्व रोशन हो, सके नाम मेरा।
मातु सरस्वती, बनूँ दास तेरा।
चलें सतपथ पे, सदा भक्त मैया।
मातु भव से अब, करो पार नैया।
अदम्य