दाेहे
हिम्मत जुटा वजीर ने ,खरी कही जब बात !
राजा की शमशीर ने ,बतला दी औकात !!
जिस दिन खुलकर धर्म पर , उसने दी तकरीर !
उस दिन से अखबार में , झलक रही तस्वीर !!
उनकी कुंठा का खुला , उस दिन सब पर भेद !
जब उसने चुपचाप से , किया नाव में छेद !!
अखर गया कुतवाल को , उनका एक सवाल !
केस बनाकर लूट का ,किया बरामद माल !!
मन में बैठा चोर ये , मन को भाया आज !
जब इसकी हर चाल पर , किया सभी ने नाज !!