दाह
नमन उत्तरांचल उजाला
24/10/2020
विषय विजया दशमी
विधा मुक्त
मनेगी विजय दशमी
मनेगा दशहरा।
कभी ना लगेगा
इस प्रथा पर पहरा
आस्था के नाम पर
संस्कृति के मान पर
पीटते लकीर सभी
खूब खुश हो कर
कोई इस प्रथा पर
सोचो! जरा जोर डालो
दिमागी गुत्थी सुलझा लो
क्योँ आखिर क्यों।बस।
केवल अपनी मुक्ति को
सीता ही तो चुराई थी।
गहन अध्ययन से असीम
थाती ज्ञान की पाई थी
कुल तारने का उठाया बीड़ा
फिर कुलबुलाया था
युद्ध विजय का कीड़ा
पर फिर भी जलाते हैं
हर बरस आग लगाते
क्यों भई क्यों?????
नहीं किया शील भंग
नहीं काटे कोई अंग
नहीं जलया सीता को
फिर क्यों नहीं जलाते
हत्यारे बलात्कारियों को
समाज के घिनोने चेहरों
घिनोने कृत्य करने वालों को
जलाओ इन्हें हर बरस
चुन लो जलाने के लिए
ताकि देश में हो बदलाव
क्रांति लाने के लिए।
प्रवीणा त्रिवेदी “प्रज्ञा”
नई दिल्ली 74