दास्तान इंसान की
*****दास्तान इंसान की*****
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अजीब दास्तान है इंसान की
सृष्टि के णहानायक महान की
कथनी करनी में ना समरुपता
खाता हैं वो. अपनी जुबान की
जुबान में मिठास,दिल है खट्टास
बातें करता जीतने जहां की
लालची , स्वार्थी, मोह , मायावी
राग सुनाता गीता कुरान की
जाति,धर्म का रहे जहर घोलता
पैरवी करता समाज समान की
इन्सान होकर, है इन्सान ठगता
शेखी मारे सदैव ईमान की
निज स्वार्थ में सदैव छल करता
ढोल पिटता रहे वो कुर्बान की
दिल में खोट, मारे मन पर चोट
उपदेश देता शिक्षा पुराण की
धूर्त,छल, कपट से कमाता धन
दिखावट ईमानदार इन्सान की
मनसीरत कैसे हो द्वार पार
रुकावटें बीच बहुत जहान की
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
सुखविंद्र सिंह मनसीरत