दावा विशव गुरु का।
आज विध्दया गृहण करता है कैसे।विशव का नौवा आशचर्य जैसे।।खोकर विदृधया विनय विवेक।कभी जोड़ न पाया एक और एक।।।।तेरे सिर बैठ गया विज्ञान।फिर भी हुआ न ज्ञान।। करता रहता है अभिमान।। चाहता रहता है सम् मान।। अपनी अपनी ही विचारे। माता पिता को बिसारे।। घर घर शुरू का । दावा विश्व गुरू का।।