दामिनी
वक्त बेवक्त जूझ रही ‘दामिनी’,
धरा के दामन में मिट गई ‘दामिनी’,
हर लमहें हर धुऐं में सिमट गई ‘दामिनी’,
आंँसुओं की हर बूंँद में बह गई ‘दामिनी’,
हृदय में आग जला गई ‘दामिनी’,
निद्रा में लिप्त को जगा गई ‘दामिनी’ ,
कांँटो के बीच खिल गई ‘दामिनी’ ,
पुष्प को शूल चढ़ा गई ‘दामिनी’,
सिर उठा कर चलना सिखा गई ‘दामिनी’ ,
लुट रही आन बचा गई ‘दामिनी’,
दुष्टों का विनाश कर गई ‘दामिनी’,
समाज को मान सिखा गई ‘दामिनी’,
खुद की पहचान बता गई ‘दामिनी’ ।