Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 May 2021 · 1 min read

दामिनी

वक्त बेवक्त जूझ रही ‘दामिनी’,
धरा के दामन में मिट गई ‘दामिनी’,
हर लमहें हर धुऐं में सिमट गई ‘दामिनी’,
आंँसुओं की हर बूंँद में बह गई ‘दामिनी’,
हृदय में आग जला गई ‘दामिनी’,
निद्रा में लिप्त को जगा गई ‘दामिनी’ ,
कांँटो के बीच खिल गई ‘दामिनी’ ,
पुष्प को शूल चढ़ा गई ‘दामिनी’,
सिर उठा कर चलना सिखा गई ‘दामिनी’ ,
लुट रही आन बचा गई ‘दामिनी’,
दुष्टों का विनाश कर गई ‘दामिनी’,
समाज को मान सिखा गई ‘दामिनी’,
खुद की पहचान बता गई ‘दामिनी’ ।

Language: Hindi
2 Likes · 305 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Buddha Prakash
View all

You may also like these posts

भोलापन
भोलापन
Sudhir srivastava
"स्वतंत्रता दिवस"
Slok maurya "umang"
पछताता हूं फिर भी
पछताता हूं फिर भी
Kaviraag
उनके आने से ही बहार आए
उनके आने से ही बहार आए
Dr fauzia Naseem shad
जाना है
जाना है
Dr.Pratibha Prakash
कविता: सजना है साजन के लिए
कविता: सजना है साजन के लिए
Rajesh Kumar Arjun
*सृजन*
*सृजन*
Preksha mehta
मात पिता गुरु बंधुप्रिय, भाखहि झूठ पे झूठ।
मात पिता गुरु बंधुप्रिय, भाखहि झूठ पे झूठ।
Sanjay ' शून्य'
तेवरी का आस्वादन +रमेशराज
तेवरी का आस्वादन +रमेशराज
कवि रमेशराज
है बुद्ध कहाँ हो लौट आओ
है बुद्ध कहाँ हो लौट आओ
VINOD CHAUHAN
नज़रिये की बाते
नज़रिये की बाते
उमेश बैरवा
वो दिन भी क्या दिन थे
वो दिन भी क्या दिन थे
डॉ. एकान्त नेगी
तेरे जागने मे ही तेरा भला है
तेरे जागने मे ही तेरा भला है
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हार हमने नहीं मानी है
हार हमने नहीं मानी है
संजय कुमार संजू
आत्महत्या
आत्महत्या
अंकित आजाद गुप्ता
गजल
गजल
डॉ.सतगुरु प्रेमी
ये विज्ञान हमारी शान
ये विज्ञान हमारी शान
Anil Kumar Mishra
प्रभु -कृपा
प्रभु -कृपा
Dr. Upasana Pandey
गर तुम मिलने आओ तो तारो की छाँव ले आऊ।
गर तुम मिलने आओ तो तारो की छाँव ले आऊ।
Ashwini sharma
रब का एक ही नाम
रब का एक ही नाम
Dr. Man Mohan Krishna
गीत
गीत
जगदीश शर्मा सहज
"फिर"
Dr. Kishan tandon kranti
खिड़कियाँ -- कुछ खुलीं हैं अब भी - कुछ बरसों से बंद हैं
खिड़कियाँ -- कुछ खुलीं हैं अब भी - कुछ बरसों से बंद हैं
Atul "Krishn"
राजकुमारी
राजकुमारी
Johnny Ahmed 'क़ैस'
कभी अंधेरे में हम साया बना हो,
कभी अंधेरे में हम साया बना हो,
goutam shaw
लो फिर बसंत आया
लो फिर बसंत आया
Sumangal Singh Sikarwar
बीते कल की क्या कहें,
बीते कल की क्या कहें,
sushil sarna
कविता
कविता
Rambali Mishra
कुर्बानी!
कुर्बानी!
Prabhudayal Raniwal
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
Loading...