दामिनी का दम जो निकला
जितना दम उतना लड़े
फिर हार मानी चल पड़े ।
दामिनी का दम जो निकला
लोग सारे रो पड़े ।।
फूल अब कोई कहाँ
महफ़ूज है इस बाग में ।
हाल_ए_दिल उसका सुना तो
बागवाँ भी रो पड़े ।।
दामिनी का दम जो निकला लोग सारे…..
इस धरा पर लाई तुमको
गर्भ में जो पाल कर ।
दानवों सी गाज बनकर
तुम उसी पर गिर पड़े ।।
दामिनी का दम जो.निकला लोग सारे…
इंतहा अब हो चुकी है
बेटियों पर जुल्म की ।
ऐसा न हो की वो ये कह दें
अब तो धरती फट पड़े ।।
दामिनी का दम जो.निकला लोग सारे….
छोड़ बिटिया बेबसी को
ये नहीं औजार तेरा ।
बनके दुर्गा और काली
दानवों को तू दले ।।
दामिनी का दम जो निकले लोग सारे..
सुनील सोनी “सागर”
चीचली(म.प्र.)ई